पटना। बिहार में विधानसभा का सत्र सोमवार से पांच दिनों के लिए आरंभ होगा जिसमें नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी। इसके बाद सीएम नीतीश अपने मंत्रिमंडल के आकार को बढ़ा सकते हैं जिसमें मेवालाल चौधरी के इस्तीफे के बाद खाली शिक्षा विभाग प्रमुख है। इस समय बिहार में एक मंत्री के पास तीन से लेकर चार मंत्रालय तक है, अतः नीतीश कुमार इस बात की गंभीरता को समझते हुए मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं।
बिहार विधानसभा के क्षमता के अनुसार कुल 36 मंत्री बनाए जा सकते है। नियम के अनुसार कोई राज्य अपने विधानसभा के कुल संख्या के 15 फीसदी तक मंत्री बना सकता है। सुत्रों की माने तो जदयू से सात तो भाजपा से 10 मंत्री बन सकते हैं।
आपको बता दें की बिहार में सोमवार से 5 दिन विधानसभा का विशेष सत्र चलेगा। जिसमें विधायकों के शपथ ग्रहण समारोह से लेकर विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा। माना जा रहा है सत्र के समाप्ति के बाद कभी भी बिहार में नीतीश कुमार अपने मंत्रिमंडल का विस्तार सकते हैं। इस बार जदयू से सात और बीजेपी के दस विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है। मौजूदा समय में बिहार में मुख्यमंत्री को लेकर 14 कैबिनेट मंत्री हैं।
वरिष्ठ मंत्रियों के पास पांच-पांच मंत्रालयों का है भार
उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, अशोक चौधरी जैसे वरिष्ठ मंत्रियों के पास पांच-पांच मंत्रालयों का भार है। कई ऐसे मंत्री भी हैं जिनके पास दो से तीन मंत्रालय है।पिछले दिनों भ्रष्टाचार के आरोप के बाद शिक्षा मंत्री मेवा लाल चौधरी को इस्तीफा देना पड़ा था। जिससे एक सीट पहले से ही खाली है। शिक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार इस समय अशोक चौधरी के पास है। जोकि नीतीश कुमार के करीबी नेता माने जाते हैं।
जदयू नेता के अनुसार अगर मंत्रिमंडल का विस्तार होता है तो जेडीयू की तुलना में बीजेपी के ज्यादा मंत्री बनेंगे। क्योंकि उनके विधायकों की संख्या अधिक है। इस कैबिनेट विस्तार में सहयोगी दल हम और वीआईपी के विधायकों को मंत्री बनाने की संभावना कम ही है। सूत्रों के अनुसार बिहार सरकार 36 कैबिनेट मंत्री बन सकते है लेकिन मुख्यमंत्री अपना मंत्रिमंडल छोटा रख सकते हैं।
ये भी पढ़ें-मेवालाल चौधरी ने इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया
इस मंत्रिमंडल विस्तार में साफ चेहरे जिनपर कोई केस या आरोप नहीं है उनको ज्यादा तरजीह दिया जाएगा। शिक्षामंत्री मेवालाल चौधरी के इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार की काफी किरकिरी हुई थी। इस बार वह इससे बचना चाहेंगे। मौजूदा विधानसभा में भाजपा के पास 74, जेडीयू के पास 43 विधायक हैं। एनडीए गठबंधन में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है।