आओ सभी गर्व से ये पर्व मनाएं,
उत्सव है आजादी का, तिरंगा फहराएं |शहीदों की कुरबानी का चलो मान बढाएं
उनके सपनों वाला हिन्दुस्तान बनाएं |जहाँ न हिन्दू बड़ा है, न मुसलमान बड़ा है
गर साथ हैं सभी तो हिन्दुस्तान बड़ा है |
न पुजारी बड़ा है, न इमाम बड़ा है
गर साथ चल पड़े,तो आवाम बड़ा है|मजहब ने कब हमें ये भेद सिखाया?
न कोख से मां की कोई ये सीख कर आया|
क्यों मजहब को हमने फिर बदनाम किया है
क्यों देश को हिन्दू- मुसलमान किया है|फूट-नीति देश में अंग्रेज थे लाए
नेता उसी नीति को आगे हैं बढ़ाए|हिन्दू -मुस्लिम वोट की खातिर हैं लड़ाए
क्यों छलावा इतना सा, हमें समझ न आए|खुद के मजहब पर क्यों इतने तन के खड़े हैं
क्या उसकी खातिर,अभी हम इंसान बने हैं|
इंसानियत के पाठ को न गीता चाहिए
न आयतें कुरान की जुबानी चाहिए|
न धर्म के वो कट्टर ठेकेदार चाहिए
न घटिया ठेकेदारों की मेहरबानी चाहिए|इंसानियत को बस एक इंसान काफी है
मजहब में बस वही इंसान चाहिए|
बैर न करे कोई मजहब के नाम पर
ऐसा हमें अपना हिन्दुस्तान चाहिए|शशि सिंह